संघर्ष , सेवा , सुरक्षा
एकता में शक्ति, विश्वास में बल
शांभवी पीठाधीश्वर पूज्य स्वामी आनंद स्वरूप जी महाराज आज संपूर्ण विश्व के हिन्दू समाज के लिए प्रेरणा स्रोत और मार्गदर्शक के रूप में स्थापित हैं...
सन 2012 में स्वामी जी ने हिन्दुत्व की सबसे अधिक संकटग्रस्त भूमि केरल को अपनी कर्मभूमि के रूप में चुना...
1) काली सेना के तीन प्रमुख उद्देश्य हैं –
2) भारत की हिन्दू पहचान की रक्षा करना।
3) सनातन संस्कृति और मूल्यों को कमजोर करने वाले प्रत्येक षड्यंत्र का प्रतिकार करना।
4) समाज में जागरूकता और आत्मरक्षा की भावना जगाना।
हमारा प्रयास है कि सेवा, संगठन और विश्वास के माध्यम से एक ऐसा भविष्य निर्मित किया जाए, जहाँ सनातन संस्कृति सुरक्षित और समृद्ध बनी रहे।
संघर्ष , सेवा , सुरक्षा
संकल्प
शांभवी पीठाधीश्वर पूज्य स्वामी आनंद स्वरूप जी महाराज आज संपूर्ण विश्व के हिन्दू समाज के लिए प्रेरणा स्रोत और मार्गदर्शक के रूप में स्थापित हैं। आपने सदैव सनातन वैदिक धर्म की रक्षा और पुनर्स्थापना का संकल्प लिया है तथा भगवान आदि शंकराचार्य की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए भारत को एक सशक्त और एकजुट हिन्दू राष्ट्र के रूप में देखने का संकल्प किया है। सन 2012 में स्वामी जी ने हिन्दुत्व की सबसे अधिक संकटग्रस्त भूमि केरल को अपनी कर्मभूमि के रूप में चुना और कोकोनट आर्मी की स्थापना की, जिसका उद्देश्य धर्मांतरण को रोकना था। क्रांतिकारी वंश परंपरा से प्रेरणा पाकर स्वामी जी ने एक संगठित और अनुशासित हिन्दू रक्षा संगठन काली सेना का निर्माण किया। इस सेना का ढांचा भारतीय सेना के अनुशासन पर आधारित है, जिसमें सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी और प्रशिक्षित स्वयंसेवक सक्रिय योगदान देते हैं।
दूर दृष्टि
हिन्दू समाज को शोषण से मुक्त कराने की बात आई, स्वामी जी सदैव अग्रिम पक्ति में खड़े रहे। सनातन वैदिक हिन्दू धर्म को पुनर्स्थापित करने वाले भगवान आदि शंकराचार्य जी के परंपरा को आगे बढ़ाने वाले स्वामी जी ने हिन्दुस्थान को पुनः हिन्दू राष्ट्र के रूप में स्थापित करने का संकल्प लिया है। दूरदर्शी महाराज जी ने अपने संकल्प को सिद्ध करने हेतु 2012 ईस्वी में हिन्दुत्व के सर्वाधिक संकटग्रस्त भूमि केरल को अपना कर्म भूमि बनाया और कोकोनट आर्मी की स्थापना की जिसका मुख्य उद्देश्य धर्मातरण को रोकना था। महाराज जी अपने उद्देश्य में एक सीमा तक सफल रहे। चूंकि महाराज जी अंग्रेजों के विरुद्ध प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 के महानायक हुतात्मा मंगल पाण्डेय के वंश है और क्रांतिकारी स्वभाव आपकी धमनियों में जन्म से विद्यमान है इसलिए महाराज जी ने एक सशस्त्र सैन्य बल की कल्पना की। भारत माता के अमर सपूत बलिदानी मंगल पाण्डेय के सैन्य दल का नाम काली पलटन से प्रेरणा लेते हुए महाराज जी ने अपने प्रस्तावित हिन्दू सशस्त्र बल का नाम काली सेना रखा और उसके सांगठनिक ढांचा को आकार दिया।
सनातन के संवाहक
चूंकि महाराज जी अंग्रेजों के विरुद्ध प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 के महानायक हुतात्मा मंगल पाण्डेय के वंश है और क्रांतिकारी स्वभाव आपकी धमनियों में जन्म से विद्यमान है इसलिए महाराज जी ने एक सशस्त्र सैन्य बल की कल्पना की। भारत माता के अमर सपूत बलिदानी मंगल पाण्डेय के सैन्य दल का नाम काली पलटन से प्रेरणा लेते हुए महाराज जी ने अपने प्रस्तावित हिन्दू सशस्त्र बल का नाम काली सेना रखा और उसके सांगठनिक ढांचा को आकार दिया। अजनाभवर्ष की सात पूरियों के दृष्टिगत काली सेना को सात कमानें में विभक्त किया गया है जिसका एक केंद्रीय एकीकृत मुख्यालय है। प्रत्येक कमान में भारतीय सेना से अवकाश प्राप्त सैन्य जवानों और अधिकारियों की सेवाएं ली जाती हैं जिसका लाभ काली सेना को प्राप्त हो सके। काली सेना का मुख्य उद्देश्य भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाना है। हिन्दू राष्ट्र के मार्ग में आने वाली प्रत्येक बाधा का दमन करना काली सेना का दूसरा उद्देश्य है। लव जेहाद अर्थात हिन्दू कन्याओं को फंसाकर बच्चे पैदा कर छोड़ देना या काट।
Boards Of Member
स्वामी आनंद स्वरूप
Founder
विजय सिंह कैथैत
प्रदेश कार्य समिति सदस्य
विवेक तिवारी
प्रदेश कार्य समिति सदस्य
ओमप्रकाश
प्रदेश कार्य समिति सदस्य